Summary of Difficult Conversations in hindi

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Difficult Conversations -कुछ वाक्यों में

डिफिकल्ट कल्वर्जेशन ( Difficult conversations ) में हम देखेंगे कि किस तरह से आप वो बातें अपने पार्टनर से कर सकते हैं जो जरुरी हैं , लेकिन जिनके बारे में करने से आप हिचकिचाते हैं । यह किताब बताती है कि किस तरह से आप अपने पार्टनर से या किसी भी व्यक्ति से शिकायत कर सकते हैं या फिर बिना उसे ठेस पहुंचाए अपनी परेशानी को उसके सामने रख सकते हैं ।

यह किसके लिए है 
- वे जो जरुरी बातें करने में हिचकिचाते हैं । 
- - वे जो अच्छे से बात करना सीखना चाहते हैं । 
- वे जो अपने रिश्तों को पहले से बेहतर बनाना चाहते हैं ।

 लेखक के बारे में 

डगलस स्टोन ( Douglas Stone ) ट्राएड कंसल्टिंग के फाउंडर हैं । वे हार्वर्ड लॉ स्कूल में एक लेक्चरर हैं । वे पिछले 20 सालों से अपने प्रोग्राम की मदद से लोगों को मोल भाव करना सिखा रहे हैं ।

 ब्रूस पैटन ( Bruce Patton ) हार्वर्ड नेगोसिएशन प्रोजेक्ट के को - फाउंडर हैं । वे एक लेखक हैं जो अपनी किताब गेटिंग टु यस के लिए जाने जाते हैं , जिसमें उन्होंने मोल - भाव करना सिखाया है । 

 शीला हीन ( Sheila Heen ) ट्राएड कंसल्टिंग की को - फाउंडर हैं । वे हार्वर्ड लॉ स्कूल में लेक्चरर हैं ।डगलस स्टोन के साथ काम करती हैं । वे अपनोपति के साथ छमआइटी के स्टूडेंट्स को मोल - भाव करना सिखाती हैं ।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए ।

 बहुत बार ऐसा होता है कि हम कुछ बात कहना चाहते हैं लेकिन किसी वजह से उसे कह नहीं पाते । कभी कभी हम अपने पार्टनर की किसी बात से परेशान रहते हैं , लेकिन हम उससे इस बारे में बात नहीं करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि वो हमारी बात का बुरा मान जाएगा । कभी कभी हम कुछ बातों को अपने तक ही रखते हैं , क्योंकि हमें लगता है कि दूसरे उस बात को नहीं समझेंगे । यह किताब हमें बताती है कि इन बातों को करना क्यों जरुरी है और किस तरह । से हम यह बातें कर सकते हैं । यह किताब हमें बताती है कि मुश्किल बातें । मुश्किल क्यों होती हैं और किस तरह से हम उसे आसान बना सकते हैं । साथ ही यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम इन बातों को करना शुरु कर सकते हैं । 

 इसे पढ़कर आप सीखेंगे 

 - मुश्किल चीजों के बारे में बात करना क्यों जरुरी है । 
 - मुश्किल बातें मुश्किल क्यों होती हैं । 
 - तीसरी कहानी क्या है और किस तरह से आप इसका इस्तेमाल कर के अपनी बात को सामने वाले के सामने रख सकते हैं ।

नतीजों के डर से मुश्किल बातें करने से पीछे मत हटिए।

बहुत बार हम सामने वाले से कुछ ऐसा कहना चाहते हैं जो कहना आसान नहीं होता। हो सकता है आपका पडोसी बहुत तेज आवाज में टीवी देखता हो या गाने। सुनता हो, जिससे आपको परेशानी होती हो। हो सकता है आप अपने पार्टनर से। उसकी गंदी आदतों के बारे में उससे बात करना चाहते हों। इस तरह की बातों को मुश्किल बातें कहा जाता है। इसमें सेक्स, पालिटिक्स, शिकायतें और हर वो बात आती है जिसके बारे में बात करने से आप हिचकिचाते।

इन बातों को करने के दो नतीजे हो सकते हैं। या तो सामने वाला आपकी बात। को समझेगा और आपके साथ मिलकर उसे सुलझाने की कोशिश करेगा। या फिर वो आपकी बात से चिढ़ जाएगा और आपके साथ डागड़ा कर लेगा। इस तरह से। इन बातों को करने के अच्छे और बुरे, दोनों नतीजे हो सकते हैं।। लेकिन इन बातों को ना करने के सिर्फ और सिर्फ बुरे नतीजे ही होंगे। इससे आपको हमेशा परेशानी होती रहेगी। इनके बारे में बात करना मुश्किल होगा,
लेकिन इनके बारे में बात ना करना और भी मुश्किल होगा। इसलिए इनसे मुँह ना मोडे बल्कि इनके बारे में बात कर के इन्हें सुलझाने की कोशिश करें।

मुश्किल बातों के तीन भाग हो सकते हैं।

चाहे आप किसी भी तरह की बात करने में कतरा रहे हों, संभावना है कि उनमें तीन भाग मौजूद हैं। उनका नाम है क्या हुआ की बातें, भावनाओं की बातें और पहचान
की बातें। सबसे पहले आती हैं क्या हुआ की बातें।

इसमें दो लोग आपस में लड़कर एका दूसरे पर इल्जाम लगा रहे होते हैं और यह तय कर रहे होते हैं कि कौन सही है। वे खुद को सही साबित करने की कोशिश कर रहे होते हैं और इसी बीच दूसरे को गलत साबित करने की कोशिश भी करने लगते हैं।

एक्जाम्पल के लिए हो सकता है आप अपने पार्टनर के सिगरेट की आदत को छुड़ाने के लिए उसकी सिगरेट फेक दें। आप उससे यहाँ पर यह कह सकते हैं कि आप उसकी इस आदत से परेशान हो गए हैं लेकिन बदले में वो भी आप से कह सकता है कि वो भी आपकी हर वक्त टीवी देखने की आदत से परेशान है। इसके बाद आप एक दूसरे पर इल्जाम लगाना शुरु कर देते हैं।

इसके बाद आती है भावनाओं की बातें। मुश्किल चीजों के बारे में बात करना इसलिए मुश्किल होता है क्योंकि उनके बारे में बात करने से कुछ नेगेटिव भावनाएं उभर कर सामने आती हैं। इसमें गुस्सा, चिढ़, डर या फिर पछतावे की भावना हो सकती है।

इसके बाद आती हैं पहचान की बातें। इसमें हो सकता है सामने वाला आप से कुछ ऐसा कह दे जिससे कि आपकी पहचान को ठेस पहुंच जाए। हो सकता है। आप अपने पड़ोसी के पास जाकर कहें कि वो अपने टीवी की आवाज को कम कर दे।

 इसपर आपका पड़ोसी आपको गुस्सैल स्वभाव का समझ कर कुछ ऐसा
कह सकता है जिससे आपको बुरा लग जाए। इससे आप खुद की पहचान पर शक करने लग सकते हैं।

इस तरह से एक मुश्किल बात में यह तीनों चीजें एक साथ मौजूद हो सकती हैं।।

क्या हुआ की बातों में एक दूसरे पर इल्जाम लगाने की बजाय एक दूसरे को समझने की कोशिश कीजिए।

सबसे पहले हम क्या हुआ की बातों को सीखने की बातों में बदलकर यह देखने की कोशिश करेंगे कि सामने वाला चीजों को किस नजर से देख रहा है। इसमें आप लड़ने, इल्जाम लगाने, खुद चुप रहने या फिर खुद पर शक करने की बजाय समस्या को सुलझाने पर ध्यान देते हैं।

इसके लिए सबसे पहले आपको सामने वाले को गलत समझना छोड़ना होगा।आप यह मत सोचिए कि वो ऐसा कैसे कह सकता है, बल्कि यह समझने की कोशिश कीजिए कि वो क्या देखकर या क्या सोचकर ऐसा बोल रहा है। 

यह समझाने की कोशिश कीजिए कि उसका नजरिया क्या है।इसके बाद यह मत सोचिए कि सामने वाला अपना फायदा और आपका नुकसान चाहता है। बल्कि यह सोचिए कि हो सकता है वो किसी तरह से आपकी मदद करने की कोशिश कर रहा हो।

 अगर आपका पार्टनर आपके सिगरेट उठा कर फेक
दे, तो यह मत सोचिए कि वो आपको काबू करने की कोशिश कर रहा है। बल्कि यह सोचिए कि वो आपका भला चाहता है और नहीं चाहता था कि आपकी सेहत
खराब हो। 

अंत में वो काम कीजिए जिससे झगड़ा सुलझ सके। अपने पार्टनर के ऊपर इल्जाम लगाने की बजाय उसके साथ मिलकर यह समझाने की कोशिश कीजिए कि किस तरह से आप दोनों इस झगडे में आ गए और किस तरह से इससे बाहर निकल सकते हैं।

भावनाओं की बातों को दबाने की बजाय उन्हें समझ कर उनके बारे में बात करना सीखिए।

मुश्किल बातें मुश्किल इसलिए होती है क्योंकि उनमें ऐसी भावनाएं होती है। जिनके बारे में हम बात करना नहीं चाहते। कुछ भावनाएं ऐसी होती है जिनके बारे  में दूसरे से बात करने में हमें परेशानी होती है और इसलिए हम उसे अपने तक रखना ही ठीक समझते हैं।

इस समस्या से निकलने के लिए सबसे पहले यह समझने की कोशिश कीजिए कि आपके अंदर क्या चल रहा है। यह पता करने की कोशिश कीजिए कि आप जो महसूस कर रहे हैं वो क्यों कर रहे हैं। इसके लिए आप खुद से कुछ इस तरह
के सवाल पूछ सकते हैं आपको ऐसा क्यों लगने लगा कि इन भावनाओं के बारे में बात करना सही नही होगा?

जब आप छोटे थे तो आप इस तरह की भावना से कैसे निपटते थे? क्या अपनी इस भावना को जाहिर करने पर आपके पार्टनर ने कुछ ऐसा कहा था जिससे आपको
तकलीफ पहुंची हो? इसके बाद आप यह जानिए कि आपकी भावनाएं समय और हालात के साथ बदल सकती है

 अगर आप हालात को अलग नजर से देखना शुरु कर दें तो आप खुद से यह पूछिए कि कही आपने सामने वाले के इरादों के बारे में गलत अंदाजा तो नहीं लगा दिया? कही आपने सामने वाले से कुछ गलत तो नहीं कहा था जिसे।
उसने भी आपको गलत कहा हो?

एक्जा'म्पल के लिए अगर आपके पिता हमेशा आप से एक नौकरी खोजने के लिए कहते रहते हैं, तो हो सकता है आप यह सोचे कि वे आपको हर वक्त नाकारा कहते हैं। लेकिन यह भी हो सकता है कि वे आपका भला चाहते हों।
और यह चाहते हो कि आप काबिल हो जाएं। इस तरह से सोचने पर उस चीज़ को लेकर आपकी भावनाएं बदल जाएंगी।

अंत में आपको अपनी भावनाओं को सही तरह से जाहिर करना है । अगर आपके । पिता हर वक्त आप से नौकरी खोजने के लिए कहते रहते हैं , तो आपको उनसे । कहना है कि आपको इस बात पर कैसा महसूस होता है और उन्हें आप से किस तरह से बात करनी चाहिए । इस तरह से आप अपनी भावनाओं से निपट सकते हैं ।

खुद के बारे में पूरी तरह से अच्छा या पूरी तरह से बुरा मत सोचिए । 

बहुत से लोग सोचते हैं कि या तो उनके पास सब कुछ है या फिर कुछ नहीं है । वे सोचते हैं या तो वे पूरी तरह से अच्छे हैं या पूरी तरह से बुरे हैं । 

वे सोचते हैं कि या तो वे पूरी तरह से काबिल हैं या पूरे बेकार हैं । इस तरह से जब वे अपनी उन हरकतों को देखते हैं जो कि उनकी इमेज से मैच नहीं करती , तो वे उदास सो जाते है ।

एक्जाम्पल के लिए हो सकता है आप यह सोचते हों कि आप हमेशा दूसरों की मदद करते हैं । लेकिन एक दिन कोई व्यक्ति कहता है कि आप उसका एक काम कर दीजिए, तो आप उसकी मदद नहीं करते । तो क्या इसका मतलब यह है कि आप अब बदल गए हैं ?

 नहीं । हो सकता है आप उस समय थके हुए हों और आपके पास खुद के बहुत से काम करने के लिए बचे हों , इसलिए आपने उसे ना कह दिया या फिर हो सकता है कि आपने सोचा होगा कि आपके दोस्त को वो काम खुद से करना चाहिए , क्योंकि अगर वो उस काम को नहीं करेगा तो उसे कल परेशानी हो सकती है । 

यह जरूरी नहीं है कि आप दूसरों का काम खुद कर के उनकी मदद करते हैं । कभी कभी आप उनका काम ना कर के भी उनकी मदद करते हैं । एक बार आपको यह पता लग जाए कि आप अपनी किन खूबियों को नहीं खोना चाहते , तो आप उसके ऊपर काम कर सकते हैं ।

 इस तरह से अगर कोई आप से यह कहेगा कि आप दूसरों की मदद नहीं करना चाहते , तो आपको उनके कहने । से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा , क्योंकि आपको पता है कि आप उसकी मदद ना कर के उसे खुद से चलना सिखा रहे हैं । इस तरह से आप अपनी पहचान को बचा सकते हैं ।



इसके अलावा आप हमेशा अपने खयालों पर सवाल करना बंद कर दीजिए । बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर वे एक बात को किसी अलग तरह से कहेंगे तो उनके पार्टनर को बुरा नहीं लगेगा । लेकिन आपके कुछ कहने पर सामने वाला क्या महसूस करेगा , यह आप कभी नहीं जान सकते इस बात को समझ लेने बाद अगर आपका पार्टनर आपके कुछ कहने पर गुस्सा होगा , तो आपको उसपर हैरानी नहीं होगी । आप उसकी इस भावना का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे ।

एक तीसरी कहानी सुनाकर आप सामने वाले से मुश्किल बात करना शुरु कर सकते हैं।

 अब हम यह देखेंगे कि अगर आपको किसी व्यक्ति से मुश्किल बातें करनी हो , तो आप उसे किस तरह से शुरु कर सकते हैं । अगर आपको अपने पार्टनर की किसी आदत से परेशानी है , तो आप किस तरह से यह बात उसे बता सकते हैं ताकि आपकी परेशानी भी सुलझ जाए और उसे बुरा भी ना लगे । 

इसके लिए आप एक तीसरी कहानी की मदद ले सकते हैं । यह वो कहानी होती है जो ना तो आपके नजरिए से सुनाई जाती है , ना ही आपके पार्टनर के नजरिए से। बल्कि यह कहानी किसी तीसरे व्यक्ति के नजरिए से सुनाई जाती है जो कि किसी की तरफदारी नहीं करता ।

 एक्जाम्पल के लिए हो सकता है कुछ लोगों के सामने आपके पार्टनर ने आपको मजाक में कुछ कह दिया हो । आप उससे यह कहेंगे 

"तुमने अपने दोस्तों के सामने मुझसे जिस तरह से बात की , वो मुझे अच्छा नहीं लगा ।"

यह आपकी कहानी है ।  यह कहने पर आपके पार्टनर को लगेगा कि आप उसके ऊपर इल्जाम लगा रहे हैं कि वो एक अच्छा व्यक्ति नहीं है और इसलिए वो अपनी इमेज को बचाने के लिए आपसे कहेगा कि वो सिर्फ मजाक कर रहा था और आपको उसे दिल पर लेने की जरुरत नहीं है । 

यह उसकी कहानी हुई । लेकिन अगर आप इसी बात को किसी तीसरे व्यक्ति कि नजर से देख सकें , तो आप इस समस्या को आसानी से सुलझा सकते हैं । 

एक्जाम्पल के लिए , आप अपने पार्टनर से कह सकते हैं - लगता है हम दोनों के मजाक करने के तरीके बहुत अलग अलग है इसके बाद आप यह बात कर सकते हैं कि आपका पार्टनर किस तरह से मजाक करता है और आप किस तरह से मजाक करते हैं । फिर आपको यह पता लग जाएगा कि आप दोनों की सोच में क्या अंतर है और इसे समझने के बाद आप अपनी परेशानियों को सुलझा सकते हैं ।

कुल मिलाकर 

मुश्किल बातों को करने से हम उसके समाधान निकाल कर उसे खत्म कर सकते  हैं । लेकिन उसे ना करने से हम उससे जिन्दगी भर परेशान रहेंगे । 

इसलिए इनके बारे में बात करना जरुरी है । जब आप सामने वाले के नजरिए को समझ कर , अपनी और उसकी भावनाओं को ध्यान में रखकर उससे बात करेंगे , तो आप हर समस्या का हल निकाल पाएंगे । 

क्या करें

अपने अंदर की आवाज पर ध्यान दीजिए । आपके अंदर की आवाज वो आवाज है । जो हर उस बात पर कमेंट करती है जो आप सुनते हैं , देखते हैं या पढ़ते हैं । यह आवाज कभी कभी इतनी मजबूत हो जाती है कि इसके आगे आपको किसी दूसरे की आवाज नही सुनाई देती । इसे चुप कराने की बजाय इसे सुनकर अपने विचारों को समझने की कोशिश कीजिए । इस तरह से आप अपने अंदर के खयालों को पहचान पाएंगे और दूसरों को अच्छे से सुन पाएंगे ।



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